The sacred stotra "Shree Bal-Mukunda-Ashtakam," (Śrībālamukundāṣṭakam/ श्रीबालमुकुन्दाष्टकम्) also popularly referred to as "Karar Vinde Na Padar Vindam" or "Vatasya Patrasya Pute Sayanam," is a divine composition by the revered Rishi Markandeya. It is inspired by a profound vision in which he sees Shree Krishna as an infant, resting on a banyan leaf in the cosmic ocean. In this astounding vision, the sage enters the child's mouth and is amazed to find the entire universe safely nestled within Him despite a deluge obliterating everything outside.
करारविन्देन पदारविन्दं
मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्।
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥१॥
Karāravindena padāravindaṁ
Mukhāravinde viniveśayantam।
Vaṭasya patrasya puṭe śayānaṁ
Bālaṁ Mukundaṁ manasā smarāmi ॥1॥
हस्त रूपी कमल से पकड़ कर चरण रूपी कमल को (चरण के अँगूठे को) मुख रूपी कमल में डाले हुए (चूसते हुए), वटवृक्ष अर्थात् कल्पतरु के पत्र रूपी बिछौने पर शयन करनेवाले भगवान् श्रीकृष्ण के बाल रूप (बाल-मुकुंद) को में हृदय से स्मरण करता हूँ।
My heart reminisces of the enchanting Bal-Mukund, who, with His delicate, lotus-like hands, tenderly cradles His lotus-like feet and gently places His toe into His lotus-like mouth. He rests serenely upon the fold of a sacred banyan leaf, embodying divine grace and innocence.
सम्हृत्य लोकान् वटपत्रमध्ये
शयानमाद्यन्तविहीनरूपम्।
सर्वेश्वरं सर्वहितावतारं
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥२॥
Samhr̥tya lokān vaṭapatramadhye
Shayanamādhyantavihīnarūpam।
Sarveśvaraṁ sarvahitāvatāraṁ
Bālaṁ Mukundaṁ manasā smarāmi॥2॥
मेरा मन उस सुंदर बाल-मुकुंद का स्मरण करता है जो पूरे विश्व को उस कल्पतरु के पत्र में समेटकर
अपने दिव्य अनादि और अंतहीन स्वरूप में विश्राम करता हैं।
वह सभी के स्वामी हैं, उसका अवतार सभी के कल्याण के लिए हुआ है।
मेरा मन उस सुंदर बाल-मुकुंद का स्मरण करता है।
I meditate upon Bal-Mukund, who slumbers peacefully while holding all the worlds together on a banyan leaf. In this timeless form, without beginning or end, He manifests as the incarnation of God for the welfare of all souls, reigning as the Supreme Lord of all creation.
इन्दीवरश्यामलकोमलाङ्गं
इन्द्रादिदेवार्चितपादपद्मम्।
सन्तानकल्पद्रुममाश्रितानां
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥३॥
Indīvarashyāmalakomalaāṅgaṁ
Indrādidevārchitapādapadmam ।
Santānakalpadrumamāśritānāṁ
Bālaṁ Mukundaṁ manasā smarāmi॥3॥
मेरा मन उस सुंदर बाल-मुकुंद का स्मरण का करता है जिसका शरीर कोमल गहरे नीले कमल (इंदीवर) के समान है।
जिसके चरण कमल की पूजा इंद्र और अन्य देवता भी करते हैं।
शरण में आये हुए अपने संतानों के लिए वे इच्छा-पूर्ति करने वाला कल्प वृक्ष के समान हैं।
मेरा मन उस सुंदर बाल-मुकुंद का स्मरण का करता है।
I meditate within my heart on Bal-Mukund, whose delicate body resembles a blue lotus. All the gods, including Indra, revere his sacred foot. He is the wish-fulfilling tree for those who seek refuge in Him, bestowing divine grace and blessings upon His devotees.
लम्बालकं लम्बितहारयष्टिं
शृङ्गारलीलाङ्कितदन्तपङ्क्तिम्।
बिम्बाधरं चारुविशालनेत्रं
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥४॥
Lambālakaṁ lambitahārayasṭiṁ
Śṛṅgāralīlāṅkitadantapaṅktim ।
Bimbādharaṁ cāruviśālanetraṁ
Bālaṁ Mukundaṁ manasā smarāmi॥4॥
मेरा मन उस सुंदर बाल-मुकुंद का स्मरण का करता है जिसके लंबे घुंघराले बाल हैं और जो लंबी माला पहनता है,
शृंगार लीला से अंकित मनमोहक मुस्कान के बीच में से जिसकी मनमोहक दन्त पंक्तियाँ प्रकट होती है।
जिसके होंठ बिंब फल के समान हैं और आंखें चौड़ी और प्यारी हैं।
मेरा मन उस सुंदर बाल-मुकुंद का स्मरण का करता है।
I meditate within my heart on Bal-Mukund, adorned with cascading curls and dangling necklaces. His playful smile reveals a beautiful row of teeth, while his lower lip glows red like a ripe Bimba fruit. His enchanting wide eyes radiate beauty and grace, captivating all who behold Him.
शिक्ये निधायाद्य पयोदधीनि
बहिर्गतायां व्रजनायिकायाम्।
भुक्त्वा यथेष्टं कपटेन सुप्तं
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥५॥
Śikye nidhāyādya payodadhīni
Bahirgatyāṁ vrajānāyakāyām।
Bhuktvā yathesṭaṁ kapaṭena suptaṁ
Bālaṁ Mukundaṁ manasā smarāmi॥5॥
मेरा मन उस सुंदर बाल-मुकुंद का स्मरण का करता है जो व्रज की गोपियों के बाहर जाते ही उनके घर के छीक पर टँगे बर्तनों से दूध और दही चुराकर अपनी इच्छा के अनुसार उन्हें खा लेता है और बाद में सोने का नाटक करता है,
मेरा मन उस सुंदर बाल-मुकुंद का स्मरण करता है।
I meditate within my heart on that playful Bal-Mukund, who, having satisfied Himself with the yoghurt from the Gopis' hanging pots while they were away, pretends to be asleep, His innocent mischief adding to His divine charm.
कलिन्दजान्तस्थितकालियस्य
फणाग्ररङ्गे नटनप्रियन्तम्।
तत्पुच्छहस्तं शरदिन्दुवक्त्रं
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥६॥
Kalindajāntasthitakāliyasya
Phanaagraraṅge naṭanapriyamtham।
Tatpuccahastaṁ śaradinduvaktraṁ
Bālaṁ Mukundaṁ manasā smarāmi॥6॥
मेरा मन उस सुंदर बाल-मुकुंद का स्मरण करता है जो कालिन्दी के अंदर बैठा कालिया सर्पके फन पर अति सुंदर नृत्य करता है।
जिसका चेहरा शरद ऋतु के चंद्रमा की तरह चमकता है और जिसने कालिया के पूंछ को अपने हाथ से पकड़ रखा है। मेरा मन उस सुंदर बाल-मुकुंद का स्मरण करता है।
I meditate upon the enchanting Bal-Mukund, whose radiant face mirrors the beauty of the autumnal moon. He dances joyously upon the hood of the mighty serpent Kaliya, gracefully holding its tail in His divine hand amidst the shimmering waters of the Kalindi Lake.
उलूखले बद्धमुदारशौर्यं
उत्तुङ्गयुग्मार्जुनभङ्गलीलम्।
उत्फुल्लपद्मायतचारुनेत्रं
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥७॥
Ulūkhale baddhamudāraśauryaṁ
Uttuṅgayugmārjunabhaṅgalīlam।
Utfullapadmāyatacārunetraṁ
Bālaṁ Mukundaṁ manasā smarāmi॥7॥
मेरा मन उस सुंदर बाल-मुकुंद का स्मरण करता है जो माता के द्वारा ऊखल से बाँधे जाने पर भी मुख पर अदम्य शौर्य धारण किए है।
जिसने अपने कोमल शरीर से उस ऊखल को घसीट कर ऊँचे अर्जुन के वृक्षों के जोड़े के बीच फसाकर उखाड़ने की दिव्य लीला किया है।
जिसके नेत्र खुली हुई सुंदर कमल की पंखुड़ियों के समान फैली हुई और बड़ी-बड़ी है।
मेरा मन उस सुंदर बाल-मुकुंद का स्मरण करता है।
I meditate upon the Bal-Mukund, whose eyes are as beautiful as the petals of a fully bloomed lotus. Displaying immense valour, he breaks the towering Yamala Arjuna twin trees, even while bound to a heavy mortar, showcasing his supreme strength and grace.
आलोक्य मातुर्मुखमादरेण
स्तन्यं पिबन्तं सरसीरुहाक्षम्।
सच्चिन्मयं देवमनन्तरूपं
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥८॥
Alokya mātur mukhamādarena
Stanayaṁ pibantaṁ sarasīruhākṣam।
Saccinmayaṁ devam anantarūpaṁ
Bālaṁ Mukundaṁ manasā smarāmi॥8॥
मेरा मन उस सुंदर बाल-मुकुंद का स्मरण करता है जो अपनी मां के स्तन से दूध पीते समय उसके चेहरे को निहारता है, जिसकी आंखें झील पर स्थित कमल की तरह हैं।
जो सत्-चित् और अनंत चेतना को साकार रूप में प्रतिबिंबित करता है।
मेरा मन उस सुंदर बाल-मुकुंद का स्मरण करता है।
I meditate upon the Bal-Mukund, the embodiment of sat and chit—boundless existence and infinite consciousness. With his lotus-like eyes, he gazes lovingly at his mother's face while tenderly nursing at her breast, his infinite form radiating divine grace and affection.